Bunch of Lungdu for dinner

What did my Kids eat on Kareri Lake Trek

When I first thought about a high altitude trek with kids, there were many apprehensions. One of these was about food. Will kids like to eat whatever food will be served to them? What if they do not like and do not eat properly, how will we finish this demanding journey. There, camping by the side of the river after a rainy climb, we all relished Bicchu Saag with roti and kids licked their plate all clean.

The Best Desert Safari in Rajasthan

Khichan is widely known for the thousands of Demoiselle Cranes, that come here for wintering and people of Khichan do everything to give them a safe shelter with abundance of food. Its streets have some fine Havelis made with sandstone. However, the most beautiful experience to have in Khichan is Desert Safari conducted by khichan Resort.

राजस्थानी संस्कृति में कुरजां पक्षी

लोकगीत सदा से ही देश काल की सच्ची परिस्थिति बयान करते रहे हैं. कुरजां ऐसा ही एक लोकगीत है, जिसमे नायिका/विरहिणी कुरजां पक्षी के हाथ अपने प्रिय को संदेसा भेजती है कि विवाह कर, वे उसे क्यों अकेली छोड़ गए हैं. कुरजां जाके नायक को सन्देश देती है और उसे भी वियोग में उदास पाती है. संदेसा पाकर नायक नौकरी/ साथी छोड़ कर एक सजीले घोड़े पर रातों रात चल देता है , पूरी रात बेतहाशा चलके भोर होते होते अपने घर अपनी प्रिया के पास पहुँच जाता है.

रामनगरा , रामदेवरा बेट्टा – गब्बर की खोह: एक चित्रलेख

शोले फिल्म के गब्बर सिंह को कौन भूल सकता है। और उसकी खोह? वो फिल्म तो उत्तर भारतीय बैकग्राउंड में थी लेकिन गब्बर की डेन यहाँ दक्षिण के कर्णाटक में , बंगलोर से 60 km दूर, रामनगर के रामदेवरा बेट्टा में थी. जहाँ फिल्म में उसकी खोह का चारों ओर पथरीला पहाड़ उसके दिल को ही प्रतिबिंबित करता था- बंजर, क्रूर,सूखा,जहाँ एक अंकुर भी प्रेम और दया का कभी न फूटा हो ; लेकिन आज ये स्थान उसके ठीक विपरीत – हरा-भरा और रुमानियत से लबरेज है. इतना सुहाना और सुकून दायी कि गब्बर भी यहाँ आकर ग़ालिब ही बन बैठे।

बृहदीश्वरा मंदिर, तंजावुर

दक्षिण के मंदिरों में विमान (tower) का एक रोचक इतिहास है. तंजावुर के बृहदीश्वरा से पहले बने मंदिरों का विमान ऊंचाई में मध्यम रहा. राजजचोला और फिर राजेंद्र चोला के बने मंदिरों में विमान की ऊंचाई अधिकतम रही. फिर उसके बाद पुनः विमान की ऊंचाई कम होती गई, लेकिन गोपुरम की ऊंचाई बढ़ती ही चली गई.

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