India

बृहदीस्वर मंदिर, गंगाईकोंडाचोलापुरम

गंगईकोंडा के मंदिर में मंदिर के भीतर प्रवेश करते हुए मन राजेंद्र चोला के मन में प्रवेश कर रहा था जब उसने प्राण प्रतिष्ठा के वक्त, अपनी जय के गगन भेदी उद्घोष के बीच मंदिर में प्रवेश किया होगा और अपने ईश्वर के सामने मस्तक झुकाया होगा। क्या उसने भी ईश्वर के सामने अपना अनुग्रह प्रकट किया होगा कि “तूने जो भी दिया मैं उसके लायक तो नहीं लेकिन तेरे दिए विवेक का सर्वदा- अच्छा या बुरा, जय या पराजय, यौवन की उत्कंठा या वानप्रस्थ की समझ, प्रति क्षण उपयोग करुँगा, कि तू मेरे जीवन का साध्य है और जो तूने दिया वो सब साधन “.

Lord Hanuman carved on the wall, Hampi

तमिलनाडु में रामायण

तमिलनाडु में प्राचीन काल में रामायण यात्रा व्यक्ति के जीवन में अनेक आयाम खोलती है. ना सिर्फ यात्रा मनुष्य के स्वभाव को विस्तृत और वैश्विक परिप्रेक्ष्य देती है अपितु अनेक […]

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