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स्कूल से लौट कर बस से उतरते ही बच्चे पूछते – आज पार्टी कहाँ हो रही है? और फिर हम मां -बेटे निकलते Delhi- NCR के हमारे सेक्टर के पार्क को देखने। घर की परिधि में चार पार्क थे और सड़के अर्जुन के पेड़ो से सीमा बद्ध थी. पार्क में भी अनेको अर्जुन के पेड़ थे.
अर्जुन के फल इन हिरामण सुग्गों को जाने कितने पसंद थे. जैसे जैसे सुबह लोग पार्क से गायब होते जाते, इन सुग्गों के मोहल्ले के मोहल्ले उठ कर यहाँ आने लगते और फिर शाम तक ही जाते।
सामान्य तोते से ये आकर में बहुत बड़े होते हैं. बड़ी, मज़बूत लाल चोंच , कंधे पर लाल चकत्ता, नर के गले में काला लाल टाईनुमा band , इनकी व्यक्तिगत पहचान है. खाने के शौक़ीन ये बीज, फल, कलियाँ आदि सभी कुछ खा जाते हैं, मक्के और जोवार की फसल को खासा नुक्सान पहुंचाते हैं. सामान्यतः समूह में रहते है और बड़ा ही शोर मचाते है.
पुरुष गले में टाई भले बांध के आते हों, हरे कोट की पॉकेट में लाल रुमाल डालते हों, इनको किसी अंग्रेज ने टेबल मैनर्स सिखाये ही नहीं कभी. महिलाएं तो बस ऐसे ही उठ कर चली आतीं, एक सदा हरे रंग का लिबास पहन कर। न कोई नेकलेस न कोई लॉकेट । अर्जुन के फल खाते सो खाते , इतना गिराते कि ग़दर ही मचा देते। अर्जुन भी बड़ा ही दयालु, इतने फल उगाता कि एक खाने और दस गिरा देने पर भी फलों की मंडी भरी ही रहती। तो मैं , बड़ा और छुटका , दशहरे दीवाली के चमकीले दिनों में, उनके स्कूल बस से उतरते ही, तीनों ही नीचे देखते हुए चलते और जहाँ जहाँ खाये-अधखाये फल पड़े होते, ऊपर को देख लेते। पेड़ तो फलों से लदा ही होता, इन सुग्गों से भी भरा होता। सुग्गों की कर्कश किचर किचर और बच्चों की दिन भर की स्कूल की सौगातें, दोनों ही उलटी पुलटि। जी भर देखते, सुनते, हँसते और फिर घर लौटते। फिर अपना पेट भी भरते हम.
शनिवार -रविवार को हम पति-पत्नी कैमरा लेके इन्हे देखने जाते। पार्टी सिर्फ खाने तक ही सीमित न रहती। टुन्न होकर चुम्बनों का आदान-प्रदान होता, प्रेमियों को लेकर झगडे-झांसे होते। जहाँ ये होते, दूसरे सज्जन पक्षी कभी न होते। अब कोई ये न कहे, सिकंदर ने इनके जींस में पाश्चात्य संस्कृति डाल दी वर्ना ये तो…….
अब आप सोचेंगे ये सिकंदर कहाँ से आ गया बीच में? भारत युद्ध-यात्रा के दौरान उसने अनेकों बड़के सुग्गे यूरोप के देशों में पहुंचाए, जहाँ वो धनाढ्यों, राज्य-अधिकारीयों और नामचीन हस्तियों में बहुत मांग में रहते थे. तभी से इन्हे alexandrine parakeet के नाम से जाना जाने लगा.