Art Appreciation

Krishna dancing on Kaliya Naag

कर्णाटक संगीत , तिल्लाना और कालिया मर्दन

कान में द्रुत गति से ऊपर नीचे होते स्वरों ने दस्तक दी. घटम से उठती ताल और उन अपरिचित होते हुए भी परिचित से लगने वाले बोलों की ध्वनि ने […]

बृहदीश्वरा मंदिर, तंजावुर

दक्षिण के मंदिरों में विमान (tower) का एक रोचक इतिहास है. तंजावुर के बृहदीश्वरा से पहले बने मंदिरों का विमान ऊंचाई में मध्यम रहा. राजजचोला और फिर राजेंद्र चोला के बने मंदिरों में विमान की ऊंचाई अधिकतम रही. फिर उसके बाद पुनः विमान की ऊंचाई कम होती गई, लेकिन गोपुरम की ऊंचाई बढ़ती ही चली गई.

ऋषभारूढमूर्ति : शिव पार्वती मनुनीति चोला को आशीर्वाद देते हुए, मानुनीति चोला कथा पैनल सेऋषभारूढमूर्ति : शिव पार्वती मनुनीति चोला को आशीर्वाद देते हुए, मानुनीति चोला कथा पैनल से

लेपाक्षी (आंध्र प्रदेश) के मुराल / चित्र

चित्रसूत्र कहता है -“विशेषज्ञ रेखाओं को (delineation and articulation of form) को देखता है, पारखी प्रकाश और छाया के रूपं को देखता है, स्त्रियां गहने, सामन्य-जन रंगों की विविधता और शोभा से प्रभावित होते हैं, अतः चित्रकार में ऐसी दक्षता चाहिए कि सभी उसके चित्र से आनंदित हो सकें।”

Gajasurchamradhari Shiv

गजासुरचामृधारी शिव और कला दर्शन-विवेचन, Gajantak Form of Shiva

भारत के प्राचीन मंदिरों में शिल्प शास्त्र और वास्तु शास्त्र दोनों का ही नियमपूर्वक पालन किया गया है. वास्तुशास्त्र जहाँ भवन निर्माण के नियम को रेखांकित करता है, जिसमे मंदिर, […]

error: Content is protected !!