कम्बोडिया यात्रा गाइड

कम्बोडिया प्राचीन हिन्दू और बौद्ध मंदिरों के लिये विख्यात है. जाने इस कम्बोडिया यात्रा गाइड में कि वहां क्या क्या देखें।

ऐरावत पर इंद्र देव, बांते स्रेई , कंबोडिया

भारत को एशिया की संस्कृति का पालना कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. श्री लंका, भूटान, नेपाल, म्यांमार, चीन, से लेकर थाईलैंड, कम्बोडिआ, मलेशिया, इंडोनेशिया, और सुदूर पूर्व में कोरिया तथा जापान, सभी देशो की संस्कृति में भारत की अमिट छाप आज भी दिखाई पड़ती है.

अधिकांश देशों में यह छाप जीवन के गूढ़ रहस्यों को जानने की मनुष्य की कोशिश, अर्थात धर्म और अध्यात्म में, मुख्य रूप से अंकित है.

बुद्ध धर्म तो इनमे सभी जगहों पर आज भी विद्यमान है . किन्तु हिन्दू धर्म का प्रभाव उससे भी पहले, दूर तक फैला था. इन्ही अतीत के पन्नों में से आज चुनते हैं कंबोडिया को और उसके लिए है ये गाइड ।

कम्बोडिया का इतिहास और हिन्दू नाता

कंबोडिया का पहली से छठी सदी (AD) का समय फूनान राज्य से जाना जाता है. इसके साथ भारत तथा चीन से समुद्री व्यापार के ऐतिहासिक प्रमाण हैं. इसी दौरान भारतीय संस्कृति का प्रभाव वहां के स्थानीय खमेर समाज पर गहराई से पड़ा.

सातवीं से आठवीं सदी में फूनान का बदलते व्यापारिक परिवेश से ह्वास होने पर नयी सत्ता की शुरुआत हुई जो चेनला /जेनला के नाम से जानी गयी. इस वक्त भी वहां के समाज का भारतीयकरण होता रहा.

अंत समय में चेनला दो भागों में बाँट चूका था तथा उसके अधिकांश भाग पर जावा के शैलेन्द्र राज्य तथा मलय के श्रीविजय साम्राज्य का अधिपत्य था. फूनान और चेनला दोनों ही के शासको के नाम के पीछे ‘वर्मन’ जुड़ा है. (उसी दौरान भारत में भी, 350-650 ad में, वर्मन वंश का कामरूप राज्य पर राज था. इस वर्मन वंश के संस्थापक का नाम था- पुस्य वर्मन, और ये समुद्रगुप्त का समकालीन था. इन दोनों के आपस में किसी भी तरह से जुड़े होने के कोई प्रमाण नहीं है.)

कम्बोडिया का स्वर्णिम काल

इसके बाद शुरू होता है कंबोडिया का क्लासिकल स्वर्णिम काल-(802-1431), जिसे अंकोर काल भी कहा जाता है.

इस खमेर राजवंश की स्थापना की राजा जयवर्मन-2 ने. जयवर्मन-2 ने अपने आपको चक्रवर्तीं सम्राट घोषित किया और शैलेन्द्र तथा श्रीविजय साम्राज्य से मुक्ति हासिल की. इस वंशावली के राजाओं ने अनेकों हिन्दू मंदिर बनवाये जो भगवान शिव तथा विष्णु को अधिष्ठित थे.

इसी वंश के राजा जयवर्मन-7 (1180-1219 AD) ने बौद्ध धर्म को अपनाया तथा अनेक बौद्ध मंदिरों जैसे बायोन आदि का निर्माण किया।

उसके बाद हिन्दू धर्म का प्रभाव कम होते होते समाप्त हो गया तथा कंबोडिया पूर्णरूपेण एक बौद्ध देश बन गया.

अंकोर वात कहाँ है

कम्बोडिया के हिन्दू और बौद्ध मंदिरों को देखने के लिए आपको वहां की राजधानी नहीं, अपितु सिम रीप प्रान्त जाना होगा। बैंकाक से वहां के लिए डायरेक्ट फ्लाइट उपलब्ध है.

यहाँ आप को एक रात रुकना आवश्यक है, बाहर से आये सैलानियों को डे ट्रिप नहीं अलाउ है.

कंबोडिया के सिमरीप प्रान्त में यहाँ वहां , शालीनता से, बरसो से समय को आता जाता देख रहे इस स्वर्णिम खमेर काल के अनगिनत मंदिरो में से कुछ की झलके इस कम्बोडिया यात्रा गाइड में प्रस्तुत हैं.

अंकोर वात

अंकोर वात (Angkor Wat) इन सभी मंदिरो में सबसे भव्य, सबसे बड़ा, और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. यह पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र है.

भगवान विष्णु को अधिष्ठित यह मंदिर राजा सूर्यवर्मन दो ने बारहवीं सदी में निर्मित किया था, हालाँकि अब यह बौद्ध मंदिर है.

ख्मेर स्थापत्य का सर्वश्रेष्ठ उदहारण यह मंदिर आज कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर अपनी छवि अंकित किये हुए है. विश्व के पांच सबसे विख्यात पर्यटन स्थलों में से एक है अंकोर वात.

अंकोर वात - कम्बोडिया
अंकोर वात

मुख्य मंदिर मेरु पर्वत को रुपित करता हुआ पांच विमानों से सुसज्जित, अंकोर स्थापत्य का सर्वश्रेष्ठ उदहारण है.

चारों ओर से घेरे हुए लम्बे लम्बे गलियारे उस समय की अदभुत शिल्प कला की भव्य धरोहर हैं. इन लम्बे लम्बे गलियारों में आप चल चल के और देख देख के थक जायेंगे रामायण और महाभारत की कथाओं के शिल्प।

महाभारत, रामायण तथा पुराण की कथाओं का विस्तृत उत्कीर्णन, वह भी भारत से इतनी दूर, मन में मिश्रित से भाव जगाता है.

अंकोर वात में महाभारत का पैनल

ता फ्रॉम मंदिर

ता फ्रॉम ( Ta Phrom) मंदिर को प्रकृति ने पुनः अपने अधिकार में लेने का मन बना लिया है. यहाँ मनुष्य और प्रकृति के मध्य समय की रस्सी पर रस्साकशी का खेल जारी है. ASI द्वारा यहाँ पुनरुत्थान का कार्य जारी है.

यह एक राजविहार के रूप में बना बौद्ध मंदिर है, जिसे राजा जयवर्मन 7 ने 1186 AD में बनवाया था. लम्बी गैलेरियों, बरामदों में खो जाने को विवश करता यह प्रांगण बच्चों को बहुत ही पसंद आया था.

ता फ्रॉम -कम्बोडिया यात्रा गाइड
ता फ्रॉम

प्रेह खा मंदिर

Preah khan का अर्थ है holy sword. ये इसके पुराने नाम “नगर जयश्री” का ही नूतन नाम है, जिसे राजा जयवर्मन (7) ने चामों पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में बनवाया था.

बौद्ध धर्म को समर्पित यह मंदिर अपने समय में ऐश्वर्य का प्रतीक था. आज तो मोगली और बल्लू की खोह लगता है.

बच्चों के लिए तो प्री ख़ान तथा ता फ्रॉम किसी भूल भुलैया से कम नही. दोनों ही मंदिर बच्चो के पसंदीदा मंदिर रहे.

कम्बोडिया यात्रा गाइड
प्रे खान

बेयोन

बेयोन (Bayon) के स्तम्भों पर बने अनेको मुख बरबस ही आपके पैरों को अपनी तरफ ले आते हैं. राजा जयवर्मन ७ द्वारा 1190 में निर्मित यह मंदिर बौद्ध धर्म को समर्पित है.

बायोन - कम्बोडिया यात्रा गाइड
बेयोन के चेहरे

बांते स्रेई

बांते स्रेई (Bante Srei) इन सभी के समक्ष आकार में छोटा किन्तु लाल गुलाबी आभा वाले पत्थर पर धागे सी महीन खुदाई से इन सभी में कला की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है.

भगवान् शिव का यह मंदिर किसी राजा ने नहीं अपितु उनके मंत्री यज्ञावहर ने 967 ईस्वी में पूरा किया था.

इसका नाम जिसका अर्थ Citadel of the women है, इसीलिए पड़ा क्योंकि इतनी महीन और दक्ष कलाकारी स्त्रियों की महीन अँगुलियों से ही हो पाई होगी. 
दूसरी वजह ये भी मानी जाती है की अन्य सभी मंदिरों के समक्ष यह एक बहुत ही छोटा सा मंदिर है.
बांते स्रेई ,

बान्ते स्म्रे

बांते समरि (Bante Samre) , (1150 CE के आस-पास ) पर बहुत पर्यटक नहीं आते किन्तु यह आने वालों की पसंदीदा मंदिरों की सूचि में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान पर रहता है.

कम्बोडिया यात्रा गाइड
बनते समरए

बोफ़ोन

बॉफोन (Bauphon) का बहुत भाग गिर चुका है किन्तु जो बचा है वह उसके अतीत की सम्पन्नता दर्शाता है. ग्यारहवीं सदी में बना यह शिव मंदिर राजा उदयादित्यवर्मन दो का राजकीय मंदिर था, जिसे बाद में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित किया गया.

कम्बोडिया यात्रा गाइड
बॉफोन

कम्बोडिया यात्रा गाइड – मंदिरों से आगे भी है बहुत कुछ

मंदिर तो मुख्य आकर्षण है ही लेकिन स्थानीय जीवन तथा एक भिन्न संस्कृति, उनका संगीत, वेशभूषा, मनमोहक चेहरे, भाषा आपको मोहपाश में बांधे रखेंगे।

प्रकृति प्रेमियों के लिए टोनले साप तथा उस पर बेस तैरते गावों की सैर अनिवार्य है.

कम्बोडिया -टोनले सैप की सैर
टोनले सैप की सैर
कम्बोडिया - तैरते गांव
तैरते गाँव

इन सभी पर लिखूंगी विस्तार से……..इनमे सबसे खूबसूरत बान्ते स्रेई मंदिर के बारे में यहाँ पढ़ें।

कम्बोडिया यात्रा टिप्स

  • कंबोडिया, थाईलैंड व मलेशिया से महंगा है. यहाँ अमेरिकन डॉलर ही लेन-देन की मुख्य करेंसी है, कम्बोडियन करेंसी रियल का नगण्य उपयोग है.
  • भारतीयों को कंबोडिया के लिए वीसा ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है.
  • ठहरने के लिए सभी तरह के बजट के स्थान हैं.
  • शाकाहारी खाना मिल जाता है लेकिन कम.
  • गर्मी और उमस बहुत होती है अतः ढीले सूती कपडे पहने।
  • कृपया लोकल भावनाओं को ध्यान में रखकर कपडे पहने। बिना बाजु के कपडे न पहने। छोटी पोशाके, शॉर्ट्स आदि न पहने। मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।
  • बेहतर होगा कि आप लोकल लोगों से उन पर हुए अत्याचार की बातें न पूछे। वहां कोई ऐसा नहीं है जिसका कोई प्रिय या नज़दीकी रिश्तेदार न मार दिया गया हो. 1975 से 1979 के दौरान यहाँ करीब बीस लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. कम्बोडिया में हुए इस क्रूर घटनाक्रम को आप यहाँ पढ़ सकते हैं.
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9 Comments

  1. पहली बार पढ़ा आपको अच्छा लगा। इस तरफ जाने का अवसर नही मिला है अभी तक देखिये कब जाना होता है। तब तक आपके माध्यम से ही घूम लेते हैं।

  2. कम्बोडिया का अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे विशाल मंदिर है।अपने समय का सबसे शानदार मंदिर भी रहा होगा,
    आज के आपके लेख में अन्य स्थलों की जानकारी भी मिली, जो पहले मालूम नहीं थी।

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