होली के लिए बेंगलोर में फाग के रंगों की इतनी मांग है कि हर गली-कूचे, नुक्कड़-मोड़ पर कदम कदम पर दुकाने सजी है। आधी से कम दुकानों पर तो भांति भांति के हरे रंगों कि बहुतायत है, बाकी की दुकाने अलग अलग रंग की अबीर-गुलाल से यूं लदी पड़ी हैं, कि दुकान पर आने वाले हर ग्राहक पर जाने-अनजाने रंगों की छींट पड़ ही जाती है। फर्श से अर्श तक अटी पड़ी हैं ये दुकाने ।
हिन्दी लेख एवं वृत्तांत
मूमल महेंद्र
एक थी मूमल – मरू देस की, आज के जैसलमर के समीप बसे लोदूरवा गाँव की चतुर, सुजान, सुनहरी-रुपहली कन्या। एक था महेंद्र राणों- आज के पाकिस्तान के सिंध प्रांत का साहसी, चतुर, बांका, छैल-छबीला नवयुवक।
बृहदीस्वर मंदिर, गंगाईकोंडाचोलापुरम
गंगईकोंडा के मंदिर में मंदिर के भीतर प्रवेश करते हुए मन राजेंद्र चोला के मन में प्रवेश कर रहा था जब उसने प्राण प्रतिष्ठा के वक्त, अपनी जय के गगन भेदी उद्घोष के बीच मंदिर में प्रवेश किया होगा और अपने ईश्वर के सामने मस्तक झुकाया होगा। क्या उसने भी ईश्वर के सामने अपना अनुग्रह प्रकट किया होगा कि “तूने जो भी दिया मैं उसके लायक तो नहीं लेकिन तेरे दिए विवेक का सर्वदा- अच्छा या बुरा, जय या पराजय, यौवन की उत्कंठा या वानप्रस्थ की समझ, प्रति क्षण उपयोग करुँगा, कि तू मेरे जीवन का साध्य है और जो तूने दिया वो सब साधन “.
तमिलनाडु में रामायण
तमिलनाडु में प्राचीन काल में रामायण यात्रा व्यक्ति के जीवन में अनेक आयाम खोलती है. ना सिर्फ यात्रा मनुष्य के स्वभाव को विस्तृत और वैश्विक परिप्रेक्ष्य देती है अपितु अनेक […]
कर्णाटक संगीत , तिल्लाना और कालिया मर्दन
कान में द्रुत गति से ऊपर नीचे होते स्वरों ने दस्तक दी. घटम से उठती ताल और उन अपरिचित होते हुए भी परिचित से लगने वाले बोलों की ध्वनि ने […]
वर्कला की साँझ
दूर नीले समुंद के उस पार , स्वर्ण मृगीय क्षितिज पर खड़े होकर जब सूरज का लाल गोला डुबकी लगाने की तैयारी कर रहा होता , समंद के इस पार, वरकला के तट पर जीवन बड़ी हलचल में व्यस्त होता।
भगवान नेमिनाथ की जीवन कथा
कथा है जैन धर्म के बाइसवें तीर्थंकर भगवान् नेमिनाथ की। अपने जीवनकाल में भगवान् नेमिनाथ ने अनेकों आत्माओं को चेताया। गिरिनार पर्वत पर ही उन्होंने देह का त्याग किया और निर्वाण को प्राप्त हुए.
सिक्किम का बुरांश वाला बसंत
सिक्किम में हिले वारसे ट्रेक बुरांश की सामूहिक फूलों की बासंती छटा के लिए प्रसिद्द है. जाने मेरा अनुभव।
बेलूर चेन्नाकेशव मंदिर
बेलूर का चेन्नाकेशव मंदिर अपने असाधारण लेथ स्तम्भों, विशिष्ट मदनिका मूर्तियों, अचम्भित कर देने वाले मकर तोरण के लिए जाना जाता है.
चम्बल में चिड़ियागिरी
बात कुछ यूँ है कि हम गए थे नेशनल चम्बल सैंक्चुअरी की सैर को, ऑफ सीजन में, माने अप्रेल में। तब बाहर से आई मेहमान चिड़ियाएं अपने घर को लौट […]
प्रणय निवेदन ? पक्षियों से सीखें !
चिड़ियों में प्रणय निवेदन का एक ही मकसद है कि ‘वो हाँ कह दे’. तो अब चिड़ा जो है, वो अपने और सामने वाली के स्वभाव को देखकर ही पटाने का सूटेबल तरीका चुनता है.
बदलते बसंत
शाखें तन जाती, बाग़ इतरा जाते। मद में चूर हो गंध बिखेरते। बरामदे के एक कोने में लगी मधु मालती की बेल को भी बसंत चढ़ने लगता। श्वेत-गुलाबी-लाल कुसुम-गुच्छ से श्रृंगार कर, इत्र लगा इठलाती।